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संविधान प्रदत्त , अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरपयोग देश के प्राचीनतम विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 8 फरवरी मंगलवार रात को देखने में आया I कश्मीरी, अल्पसंख्यक व दलित समुदाय के लोगों ने संसद हमले के दोषी अफ़ज़लगुरु की तीसरी बरसी पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया व प्रशाशन के द्वारा उनके इस आयोजन पर रोक लगायी गयी तो इन लोगों ने देश विरोधी नारे लगाये जिनके द्वारा कश्मीर की आज़ादी तक जंग जारी रखने का ऐलान किया I क्या यह घटना जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के लिए शर्मनाक नहीं है ? देश की राजधानी दिल्ली में ही विद्यार्थियों को बरगलाकर आतंकवादियों द्वारा सरकार को चुनोती दी जा रही है कि देखो कसाब और अफ़ज़लगुरु को कशमीरी शहीद मानते हैं I हमारे देश के बेगैरत राजनेताओं ने केवल अपने हितलाभ के लिए इस निंदनीय घटना में दलित व अल्पसंख्यक समुदाय को जुड़ने दिया I अब सत्ता के लालच में राजनैतिक बयानबाज़ी भी शुरू कर दी I क्या देश के राजनेता सत्ता के लिए देश के टुकड़े कर देंगे? भारत को अस्थिर करने में विदेशी भी लगे हुए हैं अमेरिका को ही लीजये जिस समय पर डेविड हैडली 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के मामले में गवाही के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता बता रहा है ठीक उसी समय पर आतंकवादनिरोधी अभियान के नाम पर 58 अरब रूपये से अधिक की मदद व ऍफ़ -16 विमान पाकिस्तान को देने पर आमादा है और हमारे राजनेता हैडली के द्वारा दिये जाने वाली गवाही में भी राजनैतिक लाभ ढूढ रहे हैं बगैर सोचे व समझे कि देश की अंदरूनी राजनीती भी एक साधन है अमेरिका व पाकिस्तान के लिए कश्मीर को मुद्दा बनाकर बना कर अपना हित साधने व हमारे देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए I सबसे अफसोसजनक व शर्मनाक है विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों के द्वारा राजनैतिक अखाड़े में कूदना चाहें हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित छात्र की आत्महत्या का मामला हो या फिर जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारे लगाये जाने का मामला I अब तो जादव विश्वविदयालय के छात्र भी कूद पड़े व इसके उपकुलपति ने बिंदास होकर कहा कि हमारे यंहा विचारों के अभिव्यक्ति की आज़ादी है I अब तो यह राष्ट्र प्रेम या राष्ट्र द्रोह का मुद्दा न रहकर हंगामा और समाज में अराजकता फ़ैलाने का मुद्दा बन गया जैसे न्याय दिलाने के लिए पैरवी करने वाले वकील भी पत्रकारों पर हमला कर दिये हिरासत में लिए गया छात्र नेता कन्हैया भी इनकी अराजकता का शिकार हुआ I थू है उन सभी पर जो राष्ट्र प्रेम से इतर राजनैतिक लाभ देख रहे हैं I
देश की दूसरी घटना बुधवार 09 फरवरी को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में हुयी जिसमें दुर्दांत दस्यु ददुआ के माता- पिता की मूर्ति हनुमान मंदिर में लगायी गयी I विरोध की आशंका को देखते हुए ददुआ व उसकी पत्नी की मूर्ति लगाने का निर्णय टाल दिया गया लेकिन 14 फरवरी दिन रविवार को लगा दी गयी व बड़े पैमाने पर भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें सपा व भाजापा नेताओं ने शिरकत की परन्तु उत्तर – प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री ने विरोध की आशंका में अपना प्रोग्राम निरस्त कर दिया Iध्यान देने वाली बात केवल यह है कि ददुआ के भाई बाल कुमार पूर्व सांसद हैं, बेटा वीर सिंह कर्वी विधायक है व भतीजा राम सिंह पट्टी विधायक है I राजनीती में अपराध जगत कितना गहरे तक घुस चुका है कि दुर्दांत दस्यु व उसके मां बाप को भगवान बना दिया I पहले राजनेताओं ने दस्यु को संरक्षण देकर उसके भय का लाभ मतदान के लिए उठाया फिर दस्यु ने राजनेताओं के साथ मिलकर अपने परिवारीजन को नेता बनाया और अब परिवार ने उसे व उसके माँ-बाप व पत्नी को भगवान बना दिया I देखो कुदरत के खेल किस तरह समाज का दुश्मन भगवान बन गया और अब देश के दुश्मन अफ़ज़लगुरु व कसाब को स्वार्थी लोग शहीद बना रहे हैं I राजनेता केवल अपना वोट बैंक देखकर ही प्रतिक्रिया देते हैं I सीबीआई, आई बी व अन्य जाँच एजेंसियों के अधिकारी भी राजनैतिक हवा का रुख देखकर काम करते हैं Iजब केंद्र में भाजापा की सरकार बन गयी तो एक सीबीआई का अधिकारी यह उदघाटित करता है कि कांग्रेस के एक नेता ने अमित शाह को इशरतजहाँ एनकाउंटर केस में फंसाने के लिए कहा था इसी के परिप्रेक्ष्य में देंखे तो दिल्ली पुलिस के कमिशनर श्री बस्सी जी के बयान “छात्र नेता कन्हैया के विरुद्ध राष्ट्र द्रोह के सबूत हैं “पर मतदाता को विश्वास नहीं हो रहा है I केज़रीवाल जी वैसे ही समय समय पर दिल्ली पुलिस को केंद्र सरकार की कठपुतली बताते रहते हैI आम आदमी भ्रमित है Iक्या देश भक्ति, समाज सेवा वोट बैंक के लिए मात्र नारे रह गए हैं ?
यह एक शाश्वत सत्य है कि युवा वर्ग ही राष्ट्र व समाज को नयी दिशा देता है लेकिन आजकल युवा भ्रमित है I कॉलेज व यूनिवर्सिटीज अच्छे शिक्षार्थी देने के स्थान पर नेता बनाए जाने के कार्य कर रहे हैं I हमारे शिक्षण संसथान विश्व में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पाने से तो बहुत पीछे हैं परन्तु राजनीती के अखाड़े बनने में बहुत आगे I छात्रसंघों के चुनाव बिलकुल उसी तरह से होते हैं जैसे विधायकी के चुनाव Iइन चुनावों में भी धन व अपराध का बोलवाला रहता है I प्राध्यापक या बौद्धिक वर्ग जिन पर युवा शक्ति को सही दिशा दिखाने का भार है बोही छात्रों को भ्रमित कर रहे हैं क्योंकि राजनैतिक वर्ग ने बौद्धिक वर्ग को ढकेल कर अपनी जगह बना ली है I उनके लिए राजनीती प्रेम देश प्रेम से ऊपर है I
एक तरफ हमारे देश के सपूत देश की सीमाओं पर आतंकवादियों से लड़ कर अपना लहू बहा रहे हैं , सियाचिन जैसी बर्फीली सीमा पर आये बर्फ के तूफान में दबकर सिपाही अपनी जान गँवा रहे हैं और दूसरी तरफ देश के सत्ताधारी, गैरसत्ताधारी नेता गाल बजा रहे हैं Iक्या ये लोग संविधान के द्वारा दिये गए “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार” के द्वारा राष्ट्र का अहित कर रहे हैं? यदि ऐसा है तो युवा शक्ति को इन लोगों के खिलाफ युद्ध का बिगुल फूंकना होगा और बताना होगा कि हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं बन सकते व भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की कलई जनता के समक्ष खोलनी होगी I नैतिक विकास, राष्ट्र प्रेम व सामाजिक उत्थान का नारा देना होगा I
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