Menu
blogid : 21420 postid : 1137138

राष्ट्र व समाज की आर्थिक प्रगति के साथ लोगों में प्रेम , भावना व अहसास के मजबूत होने की सख्त जरूरत है I

Social issues
Social issues
  • 58 Posts
  • 87 Comments

प्रेम के प्रतीक पुरुष संत वैलंटाइन की याद में सारी दुनिया में 14 फरवरी को “प्रेम दिवस” मनाया जाता हैI संत ने समस्त दुनिया में प्रेम का सन्देश दिया थाI लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्रेम की पूजा होती है I हमारी भारतीय संस्कृति में माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से लेकर फाल्गुन की पूर्णिमा तक हर दिन प्रेम मय होता है व वसंत के इस महीने में आदि काल से मदनोत्सव मनाने की परम्परा रही है Iपौराणिक कथाओं में वसंत को कामदेव के पुत्र के रूप में जाना जाता है Iकाम यानि श्रष्टि का आधार कोई विकार नहीं I कामदेव का कोई शरीर नहीं होता लेकिन हर प्राणी के रोम रोम में समाया होता है Iवसंत के इस महीने में हमारा मन मयूर झूमने लगता है,पशु पक्षी भी मदमस्त हो जाते हैं यानि प्रकृति रोमांटिक हो जाती है Iआम की मंजरियाँ, अशोक के फूल ,लाल कमल ,नवमल्लिका यानि चमेली और नीलकमल खिल उठते हैं I आम के बगीचों में कोयल के कूकने की आवाज़, मंद मंद बहती ब्यार प्रेम के तमाम रूपों से परिचय कराने लगाती है जिनसे जीवन में ऊर्जा , उल्लास व उमंग की अनुभूति होने लगती है I यह सब बातें किताबी या कवियों की कल्पना मात्र प्रतीत होती हैं कारण सड़कों पर ट्रैफिक जाम , धुआं फेंकते वाहनों की कतारों व शोर गुल के बीच कोयल का पंचम सुर कैसे सुनाई दे और सडकों व ऊँचे-ऊँचे भवनों के बीच अंगड़ाती प्रकृति किस तरह दिखाई दे I मानव विकास के पथ पर बढ़ रहा है लेकिन प्रकृति से बहुत दूर जा रहा हैI
भले ही प्रकृति प्रदूषण की मार से झुलस रही है भले मदनोत्सव मानना बंद कर दिया है पर प्रेम के देवता कामदेव की लीला यानि प्रेम अब भी जारी है Iबदलते वक़्त के साथ प्रेम के रूप बदल रहे हैं I प्रकृति के स्थान पर प्रगति से प्रेम कर रहे हैं I प्रगति से प्रेम बुरा नहीं परन्तु प्रगतिशील होने के कारण जो प्रेम की परिणति सफल विवाह बंधन में नहीं हो रही है या जोड़ों को तनाव या किसी एक को अवसाद में ढकेल रही है वो चिंताजनक है I
प्यार, भावना और अहसास का नाम है I वह किसी मंहगी गाडी, मंहगे मोबाइल या किसी अन्य मंहगे सामान का नाम नहीं है I क्या जिस के पास यही सब वस्तुओं का भंडार है वही जीवन बिताने लायक है या फिर समय के साथ साथ बदलना भी जरूरी है I बुलेट ट्रेन या जेट युग में स्पीड इतनी ज्यादा है कि बातचीत मेल, मोबाइल मेसेज व अन्य साधनों के द्वारा इतनी हो जाती है कि कुछ समय बाद यह अहसास होने लगता है कि इसको समझने में गलती हो गयी इसके साथ जीवन भर बिताना तो दूर दो पल भर भी निभाना मुश्किल है Iसमाज में पाए जाने वाले लिव इन रिलेशनशिप, अविवाहित मातृत्व, सिंगल पैरेंट, विवाह के कुछ दिनों बाद ही तलाक ( दोनों तरह के मामलों में प्रेम विवाह या माता- पिता के द्वारा आयोजित विवाह ) व विवाहेतर संबंधों के मामले पाए जाने लगे हैं I विद्वान लोग इस बात की चर्चा में व्यस्त हैं कि क्या पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए भी आर्थिक विकास किया जा सकता है I कोई इस बात की बहस क्यों नहीं करता कि परिवारों की एकजुटता बनाये रखते हुए आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जाये I
आज हमारा समाज पश्चिम की तर्ज़ पर वैलंटाइन डे भी मनाने लगा है I पश्चिम में तो मदरस डे, फादर्स डे व फ्रेंड्स डे आदि भी मनाये जाते हैं I लेकिन हमारे यंहा यह सब नहीं होता परन्तु इन सब के कारण यंहा पर फायदा बाज़ार उठा रहा है जो कार्ड्स , गुलाब के फूल , गिफ्ट के जरिये प्यार को जताने की बात करता है I हमारे यंहा माँ –बाप व अन्य सभी को आमने सामने बैठ कर देखने, बात करने से जो प्रेम की अनुभूति होती है उसका स्थान कार्ड्स , गुलाब का फूल व मंहगे गिफ्ट नहीं ले सकते I
बच्चों का मन व मस्तिष्क एक कोरे कागज़ की तरह होता है जिस पर जो लिखा जाता है वह अमिट हो जाता है और आजकल तो बच्चों की आँखें टेलीविज़न के सामने खुलती हैं अपने कार्यों को निबटाने के लिए दुधमुंहे बच्चों को भी माता, पिता या आया टेलीविज़न के सामने लिटा देते हैं I बच्चा आवाज़ के कारण तब तक नहीं रोता जब तक वह भूखा न हो या फिर अपने को गीला न करले I तभी तो पहले जो बच्चे बुआ , बावा माँ आदि से बोलना शुरू करते थे अब बोलने के स्थान पर ठुमके लगाना शुरू कर देते हैं I माता पिता परेशान होते हैं कि बच्चा इतना बड़ा हो गया बोलता नहीं I धीरे धीरे टीवी संचार माध्यमों के द्वारा मिलने वाले संसकारों की वज़ह से सामाजिक अव्यवस्थाएं जन्म ले रही हैं राष्ट्र व समाज की आर्थिक प्रगति के साथ लोगों में प्रेम , भावना व अहसास के मजबूत होने की सख्त जरूरत है I

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh