Menu
blogid : 21420 postid : 1116657

स्वच्छ भारत और आतंकवाद उन्मूलन के लिए ठोस जमीनी नीतियों की जरुरत

Social issues
Social issues
  • 58 Posts
  • 87 Comments

इसलामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया अर्थात आईएस आईएस एक नया अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन जो धर्म का सहारा लेकर हिंसा पर उतारू I फ्रांस के पेरिस शहर पर हमले के वाद भारत में भी हमले की आशंका के चलते गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने राज्यों को सचेत रहने के आदेश दिये I देश पहले से ही जम्मू & कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक वाद से लड़ रहा है I देश का बहुत बड़ा राजस्व का हिस्सा आतंकियों से लड़ने में व्यय होता है I जब तक देश में रहने वाले नागरिकों से आतंकियों को मदद मिलती रहेगी आतंकी हमला करते रहेंगे I सुरक्षा बल और पुलिस आतंकियों को पहचान कर मार सकते है या गिरफ्तार कर दंड के लिए देश के कानून के समक्ष पेश कर सकते है लेकिन आतंकवाद ख़त्म नहीं कर सकते I अपने देश भारत वर्ष में आतंकियों को पनाह न मिले व युवावर्ग आतंक के समर्थन में न उतरे इसके लिए एक सशक्त योजना बनाकर क्रियान्वित करने की जरूरत है I
आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक स्तर पर समाज को ऊँचा उठाने की योजनाओं के साथ – साथ राजनेताओं को संयम बरतने की जरूरत है I हमारा देश भिन्न भिन्न धर्मों, पंथों , भाषाओँ और विचार धाराओं का मजबूत संगठन है I फिर भी कभी – कभी छोटी – छोटी घटनाएं हो जाती हैं जो कि संभावी हैं I जब घर के अन्दर एक ही पिता के दो पुत्र असमान विचार धारा के कारण लड़ पड़ते हैं तो समाज में बिभिन्न गुटों के बीच में लड़ाई क्यों नहीं हो सकती ? जिस तरह से पिता संयम बरतते हुए अपने पुत्रों के बीच तालमेल बनाता है बिलकुल उसी तरह से राजनेताओं को भी संयम बरतते हुए विभिन्न वर्गों के बीच सामंजस्य बनाना होगा I अफसोस राजनेता अपने दलगत राजनेतिक लाभ हेतु बेतुके बयानों को देते हैं और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने आर्थिक लाभ हेतु उन असामाजिक बयानों पर लम्बी – लम्बी बहस आयोजित करती है I दोनों में से कोई भी इसके साइड इफेक्ट्स पर ध्यान नहीं देता I कहीं न कहीं कोई हर्ट अवश्य हो जाता है I उन्हीं में से कोई एक कट्टरपंथी आतंकियों का मददगार बन जाता है और आतंकी धन का लालच देते हुए अन्य लोगों को अपने साथ जोड़ने लगते हैं I धन, शिक्षा का अभाव व सामाजिक अलगाव देश में स्लीपर सेल बनने के लिए युवाओं को प्रेरित करता है I राजनेताओं के साथ साथ धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठनों को भी इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है I कोई भी धर्म या पंथ आतंक का पक्षधर नहीं है I
19 नवम्बर बिश्व टॉयलेट दिवस I देश भर में शौचालय निर्माण के लिए बहुत कार्य किया गया व बहुत सारे लोगों को शौचालय बनवाने के लिए अनुदान भी दिया गया फिर भी खुले में शौच जाने से देश मुक्त नहीं हुआ कारण या तो लोगों ने शौचालय बनवाए नहीं और यदि बनवा भी लिए तो उनमें भूसा , कंडे आदि भरकर रखना शुरू कर दिया I स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए शौचालय बनवाने के साथ –साथ लोगों को शौचालय प्रयोग करने के लिए शिक्षित करना भी आवश्यक है I बिलकुल इसी तरह आतंकवाद से निबटने के लिए आपस में भाईचारा बनाये रखने के लिए प्रेरित करते रहना भी आवश्यक हैI

कोई भी ग्राम ऐसा नहीं होगा जिसमें सार्वजनिक शौचालय हो I ग्राम प्रधान को सरकार धन मुहैया कराये और एक , दो या आवश्यकतानुसार सार्वजनिक शौचालय ग्राम से बहार बनवाने के लिए निर्देशित करे I शौचालय की साफ़ सफाई और पानी की व्यवस्था बनाये रखने के लिए ग्राम के ही युवाओं को नियुक्त करेI जिनका वेतन मनरेगा के तहत मिलने वाले धन से दिया जाये I ग्राम में जाने वाले अध्यापक और लेखपाल आदि को निर्देशित किया जाये कि लोगों को शौचालय प्रयोग के फायदे बताएं I इस सबके बाद भी यदि कोई व्यक्ति खुले में शौच करते पकड़ा जाये तो प्रधान को उसे जुरमाना लगाकर दण्डित करने का अधिकार हो I इस प्रकार वसूला हुआ दंड सरकारी खजाने में जमा किया जाये I
यही प्रक्रिया शहरी झुग्गी झोपडियों के आस – पास भी लागू की जा सकती है I स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए प्रशाशन से ज्यादा सामाजिक संगठनों की जिम्मेदारी है जो आम जन को अपने बेपरवाह रवैये को छोड़ने के लिए मजबूर करें जैसे मूंगफली खाते जाना और छिलके सड़क पर फेंकते चलना, गुटखा खाना और जहाँ तहां थूक देना आदि I हर पढने वाले से निवेदन है कि वह यदि इस तरह की घटनाएं देखे तो तुरंत उसको समझाने की कोशिश करें I अपने घर, आस पास का क्षेत्र और देश को स्वच्छ रखना हर जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है I
अपने पड़ोस में पनपता हुआ आतंक भी उतना ही दुखदायी है जितना फैला हुआ कूड़ा I
स्वच्छता अभियान को मजबूती से चलाना उतना ही आवश्यक है जितना आतंकवाद के विरुद्ध सशक्त संघर्ष जरुरी है I जिस तरह साफ़ सफाई की कमी से समाज में विभिन्न रोग पनपते हैं और उन रोगों से प्रजा को बचाने के लिए स्वास्थ्य के मद में सरकार को काफी राजस्व व्यय करना पड़ता है उसी तरह आतंकवाद से लड़ने के लिए भी सरकार को प्रचुर मात्रा में धन खर्च करना पड़ता है I यदि इन दोनों समस्याओं पर अंकुश लग जाये तो जो भी राजस्व बचेगा वह देश के विकास में लगेगा I आतंकवाद के कारण होने वाली जनहानि व रोगों से होने वाली जनहानि एक समान है I दोनों से समाज बराबर दुखी होता है अतः आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई और देश को स्वच्छ रखने की लड़ाई भी एक समान हैं I
आतंकवाद से लड़ने के लिए विश्व स्तर पर बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं परन्तु वह भी पडोसी या दूसरे देश की आतंकी घटनाओं से उसी तरह वेपरवाह हैं जैसे आम आदमी अपने घर के बहार और पड़ोस के प्लाट या खंडहर में पड़े कूड़े से बेपरवाह है Iस्वच्छ भारत बनाने व देश से आतंकवाद उन्मूलन के लिए ठोस जमीनी नीतियों की आवश्यकता है I

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh