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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिवस, आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती और भारतवर्ष की निडर महिला प्रधानमंत्री व विश्व की जानी मानी नेता श्रीमती इंदिरा गाँधी जी का निर्वाण दिवस एक ही दिन 31 अक्टूबर को I आम जनता के लिए तीनों विभूतियाँ महान व सम्माननीय I
सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा 31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है Iइस अवसर पर एकता दौड़ का आयोजन किया जा रहा है Iक्या यह आयोजन वास्तव में देश वासियों को एक जुट होकर देश की तरक्की में योगदान करने का सन्देश दे रहा है ? क्या देशवासियों को प्रेम और सदभाव से एक जुट होकर जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा ?वास्तव में होना तो यही चाहिए लेकिन राजनेता दलगत राजनीती के चलते इस तरह नहीं सोचतेI
उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जो कि इतिहास में पहली वार हुआI अपने इस निर्णय के द्वारा उन्होंने आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती याद दिलाई I जिससे भाजपा और सपा के बीच प्रतीकों की लड़ाई समझ में आ रही है I बिडम्बना यह है कि आज के बाद लौह पुरुष वल्लभ भाई पटेल जी और नरेंद्र देव जी की मूर्तियों की धूल भी कोई नहीं पोंछेगा I राजनेतिक जरूरत पड़ने पर उनका गुणगान अवश्य होगा I
तीसरी महान विभूति श्रीमती इंदिरा गाँधी, जिनकी हत्या उनके रक्षकों द्वारा की गयी थी, का निर्वाण दिवस कांग्रेस दल शहीद दिवस के रूप में मना रहा है I उनका भी उद्देश्य केवल इस दिन को लेकर मीडिया में बने रहना है I क्या महान विभूतियों का राजनेतिक लाभ के लिए प्रतीकात्मक उपयोग होना चाहिए I
हमारा भारतवर्ष अनेकता में एकता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध सबसे बड़ा जनतंत्र हैI अफसोस कि देश के प्रतियेक क्षेत्र में भ्रस्टाचार का बोलबाला है, योग्यता व ईमानदारी चोराहों पर आंसू बहा रही है I धनार्जन , पदलोलुपता ,अहंकार , व स्वार्थ का नंगा नाच समाज में चल रहा है I सर्वत्र अराजकता का माहोल बन रहा है I इस सब के लिए जिम्मेदार राजनेता केवल सत्ता संघर्ष में व्यस्त हैं I सत्ता के लिए उलजलूल बयानों के जरिये समाज में साम्प्रदायिकता फ़ैलाने, जाती और धर्म के आधार पर समाज को बांटने में लगे हैं I महान विभूतियों पर अपना एकाधिकार प्रमाणित करने में लगे हैं I केवल वोट की राजनीती I अभी बिहार फिर उत्तर प्रदेश की बारी I
सत्ताधारी दल की अन्य सब दलों के मुकाबले जनता के प्रति अधिक जिम्मेदारी हैI केंद्र की सरकार इस जुगत में लगी है कि बिहार और उत्तरप्रदेश में भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार बन जाये तो राज्य सभा में भी बहुमत प्राप्त हो जायेगाI कोई संदेह नहीं कानून पारित आसानी से होने लगेंगे I क्या कानूनों की देश में अभी अनदेखी नहीं हो रही है I क्या कानून के क्रियान्वयन में शिथिलता बरतना बंद हो जायेगी ? क्या कानून से देश की आम जनता की स्थिति सुधर जायेगी ? यदि हाँ तो दाल की जमा खोरी कैसे हुयी और जब कीमत अत्यधिक बढ़ गयी तो एक दम कार्यवाही करके टनों दाल पकड़ ली गयीI यह सब क्यों और कैसे हुआ? इस प्रश्न का जवाब न तो सत्ताधारी राज्यसरकार और न ही केंद्र सरकार देगी I क्या जमाखोरों के साथ राजनेता, अधिकारी व कर्मचारी भी भ्रस्टाचार में लिप्त हैं या यह है बिहार चुनाव जीतने का कोई पैंतरा?
सवाल बहुत हैं जिनका जवाब समय के गर्त में दबा है I आज के दिन हम सभी को तीनो महान विभूतियों के जीवन दर्शन से प्रेरणा लेकर देश व समाज में एक सौहार्दपूर्ण माहोल की रचना करनी चाहिए जिसमें प्रेम, सदभाव , भाई –चारा व सभी धर्मों के लिए सम्मान शामिल हो I इसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बहुसंख्यक धर्माव्लाम्वियों पर बनती हैI जय हिन्द I
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