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गौ वध का दोषी मानते हुए दादरी में हुए हत्या कांड पर हो रही राजनीती को थामने में शायद उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश का आदेश कारगर साबित हो जाये I माननीय उच्च न्यायालय ने गौ वध रोकने को कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को आदेश दिया है I न्यायालय ने भारतीय संविधान के “अनुच्छेद 25 “ का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि गाय, बैल , बछड़ों के मांस का आयात व निर्यात करने की कानून अनुमति नहीं दे सकता I साथ ही केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि आवारा पशुओं व गायों के रखरखाव व उनके चारे के लिए राज्य सरकार को उपयुक्त धन हस्तांतरण करें I उनके संरक्षण के लिए तीन महीनों के भीतर प्रभावी नीति बनाने का भी आदेश जारी किया गया है I वर्तमान समय में जिस तरह की राजनीती हो रही है उसको देखते हुए क्या केंद्र सरकार गौ वध रोकने वाला कानून बनाने में सफल होगी ? क्या केंद्र सरकार उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी ? इन दोनों सवालों का जवाब तो आने वाला समय देगा I
गौ वध निषेध कानून लागू होने से कानून सम्मत गौ मांस का निर्यात व आयात बंद हो जायेगाI परिणामतः देश को गौ मांस के निर्यात से मिलने वाली विदेशी मुद्रा बंद हो जायेगी और देश को एक निश्चित लाभ होना बंद हो जायेगा I लेकिन संदेह है कि क्या गौवंश की तस्करी और अवैध कटान पर रोक लग पायेगी? क्योंकि कानून के क्रियान्वयन कराने वाले लोग भ्रस्टाचार से मुक्त नहीं हैं I उत्तर प्रदेश में गौ वध प्रतिबंधित है लेकिन अवैध कटान और तस्करी के मामले प्रायः पकड़े जाते हैं I क्या गौ वध निषेध कानून बन जाने से गौ वंश का वध बिलकुल बंद हो जायेगा? क्या राजनेता अपने हाथों से एक राजनीती करने का मुद्दा व्यर्थ हो जाने देंगे ? लेकिन कुछ लोग गायों के रखरखाव व उनके चारे के माध्यम से एक नया आमदनी का श्रोत जरूर ढूंढ़ लेंगे I
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में जिस तरह से सेक्युलर राष्ट्र में धर्म की आजादी की व्याख्या की गयी है क्या वर्तमान राजनीतिज्ञ और पत्रकार उसी के अनरूप टिप्पड़ी करते हैं ? नहीं असलियत की जानकारी लिए बिना ही अपने फाएदे के हिसाब से टिप्पड़ी आना शुरू हो जाती हैं और सरकार व वर्ग विशेष पर इस तरह से प्रतिक्रिया/फैसले आना शुरू होते हैं कि प्रशाशन और न्याय व्यवस्था की इस देश में आवश्यकता ही नहीं हैI प्रतीत होने लगता है कि सेक्युलर वाद की परिकल्पना केवल एक वर्ग के तुष्टीकरण के लिए है I जैसे बरेलवी संगठन रज़ा अकादमी के फतवे के कारण 13 सितम्बर को दिल्ली में संगीतकार A. R. Rahman का संगीत कार्यक्रम रद्द कर दिया गया I प्रतिष्ठित वकील आतंकी याकूब मेनन का जीवन बचाने के लिए रात को भी सुप्रीम कोर्ट में लगे रहे और फैसला आ जाने के वाद कुछ राजनेताओं के साथ उच्च न्यायालय के फैसले पर भी टिप्पड़ी करने से नहीं चूकेI जबकि सब ही जानते हैं कि न्यायालय के फैसले पर ऊँगली उठाना न्यायालय की अवमानना हैI
एक अक्टूबर को एक लेखिका शोभा डे ने ट्विट किया कि मैंने गौमांस खाया आओ और मुझे मार डालोI यह बेतुका बयान किस लिए यदि यह बयान सेकुलरवाद की परिभाषा से सही है तो क्या उनमें हिम्मत है कि जामा मस्जिद के सामने मोहम्मद साहब का कार्टून बनाने की I भारतीय पत्रकारिता भी हत्या जैसे संगीन मामलों में दोहरा चेहरा लगा लेती हैI जितना हो हल्ला इखलाक हत्याकांड पर मचा उसका 10 % भी नहीं दिखाई दिया जब बिहार के हाजीपुर में मुसलिम लड़की से शादी करने पर एक हिन्दू की हत्या हुयी थी I
एक तरफ गंगा सफाई अभियान की बात और दूसरी तरफ बनारस में गणेश प्रतिमा को गंगा में विसर्जन के लिए संत जन अड़ गए I प्रशाशन को उन्हें रोकना कठिन कार्य हुआ तो लाठी चार्ज करना पड़ा I इसके विरोध में अन्याय प्रतिकार यात्रा आयोजित की गयी जिसमें सुनियोजित ढंग से वबाल किया गया जिसमें बवालियों के मुख्य निशाने पर पुलिस और प्रशाशन के लोग थे I क्या इसी प्रकार की धार्मिक आजादी संविधान के अंतर्गत प्रदत्त है ?
दादरी हत्या कांड , बनारस की अन्याय प्रतिकार यात्रा या अन्य कोई दंगा देश को अस्थिरता की ओर ढकेल रहा हैI राजनीतिक दलों को यह याद रखना चाहिये कि स्वार्थी और अदूरदर्शी चुनावी लाभ की कोशिश भारतीय सामाजिक – धार्मिक लचीलेपन को नुकसान पहुँचाने की है I आधुनिक तकनीक ने दवेष फ़ैलाने के कार्य में भी घुसपैठ बना ली हैI जिससे युवा के भ्रमित होने की आशंकाएं बढ़ गयी हैं अतः पत्रकारों व बुद्धिजीवी वर्ग को निषपक्ष रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त करनी होगी जिससे आम जनता को उनके भी विभिन्न दलों (धार्मिक या राजनेतिक) के समर्थक होने का अहसास न हो I यह जरूरी है राष्ट्रकी एकता और सुरक्षा के हित में I
भारतीय लोकतंत्र का युवा परेशान है कि अब राजनेताओं के साथ- साथ पत्रकार और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी भारतीय संविधान की खिल्ली उड़ाने से नहीं चूक रहे I देश के युवा को अभी देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा है I
#गौवध #निषेधकानून
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