- 58 Posts
- 87 Comments
बिहार विधान सभा का चुनाव और उत्तर प्रदेश के पंचायती चुनाव के चलते गाय इस समय भारत के जनतंत्र में राजनेताओं के लिए राजनैतिक टूल बन गयी है I जिससे सबको दूध मिल रहा हैI किसीको विरोध करके तो किसीको समर्थन करके I बचपन में जब गाय पर निबंध लिखने को कहा जाता था तो ऐसा कभी नहीं लिखा क्योंकि तब हमें यह नहीं मालूम था कि जो गाय हमें तंदरुस्त रखने के लिए दूध देती है वह राजनेताओं के लिए बड़ी उपयोग की वस्तु है I गाय हिन्दुओं के लिए एक ऐसा जानवर है जिसे हिदू धर्म ने आस्था से जोड़ दिया I अन्य धर्मावलम्वियों के लिए गाय अन्य जानवरों की तरह एक जानवर हैI सभी धर्मगुरुओं से एक सवाल है धर्म का निहितार्थ क्या है ? धर्म की वास्तिविकता क्या है ?
मानव ने जब अपनी मां की कोख से बाहर कदम रखा तब उसे नहीं मालूम था कि उसका धर्म क्या है I जिस माहोल और समाज में उसका लालन पालन हुआ वह उसी के अनुरूप ढलता गया I सवाल यह है कि जब मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए अर्थ और काम की ही जरूरत थी तो धर्म की जरूरत कहाँ से आन पड़ी I हाँ धर्म की जरूरत है मानव को अनुशाशित करने के लिए, निरंकुश होकर मानव कहीं विषय, विकार और वासना के वशीभूत होकर समाज को दूषित न करने लगेI यह बात अगर इतनी सीधी होती तो बात ही क्या थी I
आज उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रभाव से हमने धन, सत्ता और कामिनी को प्राथिमिकता दे दी है और इन सब की प्राप्ति हेतु धर्म का दुरपयोग करने लगे हैं I इस अधर्मी कार्य में साधू संत और यंहा तक धर्मगुरु भी कूदने लगे हैं Iक्या कोई धर्म मानव से घ्रणा करना सिखाता है ? क्या कोई धर्म दूसरे के दोषों को देखकर उनको प्रगट करना सिखाता है ? क्या कोई धर्म रूढ़ियों का विवेकहीन समर्थन करना सिखाता है ? राजनेताओं अपने स्वार्थ में समाज को धर्म, जाती के आधार पर विभाजित मत करो. यह समय है जब भारत के समस्त धर्म गुरुओं को एक साथ बैठ कर धर्म में निहित अर्थ की सही व्याख्या करनी चाहिए जिससे समाज में सदभाव और भाईचारा बना रहे और राजनेता समाज में धर्म, वर्ग और जाती के आधार पर अपना हित साधने न पायें I जब राजनेता अनुशाशित होंगे तभी देश तरक्की करेगा I
Read Comments