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बिसाहाड़ा गाँव में हुयी इकलाख की हत्या और उसके पुत्र दानिश की हत्या करने के प्रयासों में जिम्मेदार परिस्थितियों की छान बीन कर अपराधियों को दंड दिलाने की बात तो राजनीतिज्ञों ने दरकिनार कर दी और बेतुके बयान दे कर सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का कार्य प्रारंभ कर दिया I हत्या के लिए जिम्मेदार परिस्थतियों की छान – बीन करना प्रशाशनिक स्तर पर जरूरी है ताकि प्रशाशन भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने में कामयाब हो सके और हत्या के आपराधियों को उचित दंड के लिए अदालत में सबूत पेश कर सकेI लेकिन इस प्रशाशनिक व्यवस्था में राजनेता व्यवधान पैदा कर रहे हैंI यदि कानून व्यवस्था बनाये रखने में धर्म और आस्था आड़े आ रहे हों तो धर्म और आस्था की रखवाली करने की प्रशाशन को आवश्यकता नहीं है लेकिन राजनेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी से प्रशाशन कैसे मुँह मोड़ सकता है I
प्रतिकार यात्रा क्यों ?क्या गंगा में गणेश मूर्ति का विसर्जन करने की संत जनों की मांग सही थी ? क्या 22 सितम्बर को पुलिस द्वारा लाठी चार्ज कानून व्यवस्था भंग करने के लिए किया गया था ? क्या स्वामी अविमुकतेश्वरानंद की जिद्द ही सोमवार को बनारस में अन्याय प्रतिकार यात्रा में भारी हिंसा का कारण रही ? बड़ी आसानी से यह कह दिया जाता है कि भीड़ में कुछ अराजक तत्वों का शामिल होना कठिन नहीं I फिर ये जिम्मेदार लोग जैसे संत, मौलवी ,उलेमा और साध्वी ऐसे बयान क्यों देते हैं जो कि समुदाय विशेष को भड़काने का काम करते हैंI क्या यह मान लिया जाये कि 22 सितम्बर को संतों पर हुए लाठी चार्ज का बदला 14 पुलिस कर्मियों को घायल करके लिया गया ? यदि नहीं तो क्या मुख्यमंत्री सारे सरकारी कार्य छोड़कर 22 सितम्बर की घटना पर खेद करने नहीं पहुंचे और देर से फोन पहुंचने पर स्वामी जी की इगो हर्ट हो गयी ?
राजनीतिज्ञ और मीडिया दोनों ने बनारस की इस घटना और बिसाहाडा के हत्या कांड को पंचायत चुनाव से जोड़ कर प्रचारित और प्रसारित करना शुरू कर दिया है Iपंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का रिहर्सल माना जा रहा है I इखलाक हत्या कांड में असली दोषी कौन है इसकी जांच पड़ताल में समय देने के स्थान पर प्रशाशन को बिसहाडा पहुँचने वाले नेताओं की सुरक्षा और उनके प्रवास के दौरान शांति व्यवस्था बनी रहे , के लिए अपना बहुमूल्य समय नष्ट करना पड़ रहा हैI क्या राजनेता, वर्ग संघर्ष की नीव रखकर सत्ता प्राप्ति का खेल, खेल रहे हैं?
आप सबको याद होगा कि केंद्र के चुनाव में माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी के विशेष आकर्षण की बजह से भाजापा को बहुमत मिला I देश का हर युवा यही कहता था “अबकी बार मोदी सरकार” उसको भाजापा से कोई लेना देना नहीं थाI इसीलिए माननीय मोदी जी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह साध्वी प्राची जैसे नेताओं के बेतुके बयान पर लगाम लगायेंI भाजापा के सभी बडबोले और बेतुके बयान देने वाले नेताओं पर लगाम कसें I यह आवश्यक है सबका साथ और सबका विकास का नारा सार्थक करने के लिएI
धर्म और आस्था यदि देश और समाज के विकास में वाधक होने लगे तो आम जन मानस को किसका साथ देना चाहिए यह एक ज्वलंत सवाल हैI क्या धर्म और आस्था के नाम पर पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पंहुचाना अपराध नहीं है ? क्या आस्था के नाम पर किसी की हत्या कर देना सही है ? क्या हत्या जैसी घटनाओं पर राजनीती करना अपराध घोषित होना चाहिए ?लोकतंत्र में सरकार चुनना जनता का दायित्व है अतः इन सवालों पर भी आम जनता के बाच खुली बहस होनी चाहिएI मीडिया को जिम्मेदारी का परिचय देते हुए खबर प्रसारित/ प्रकाशित करनी चाहिए जिससे जनता को यह आभास हो कि मीडिया का किसी विशेष दल से लगाव नहीं है. टीवी पर बहस में राजनीती से सम्बद्ध लोगों से बहस करने के स्थान पर मुद्दों पर आम जनता से बहस करनी चाहिए और उस बहस का विश्लेषण किसी वरिस्थ पत्रकार के द्वारा होना चाहिए तभी जनता बिना किसी प्रभाव के मतदान करना सीखेगीI उस दिन देश में सच्चा लोकतंत्र होगाI
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