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बिहार चुनाव एक परीक्षा

Social issues
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बिहार में चुनावी शंख नाद हो गया हैI प्रत्येक दल ने अपने अपने तरीके से रणनीति लागू करना शुरू कर दिया हैI जंहा नितीश अपने द्वारा किये गए कार्यों की दुहाई दे रहे हैं वहीँ लालू जी जाति पर वोटों को केन्द्रित करने में लगे हैंI भाजपा के नेताओं ने भ्रस्टाचार का कार्ड खेलना शुरू कर दियाI जैसे लालू यादव जंगल राज के निर्माता निर्देशक और लालू चारा चोर जैसे बयान भाजपा नेताओं के द्वारा दिये जाने लगे हैं. पलटवार में लालू और उनकी पत्नी रावड़ी देवी ने भाजपा को राक्षस और जल्लाद की पार्टी कहना शुरू कियाIटिकट बंटवारे को लेकर हर दल में आरोप प्रत्यारोप की किल पों शुरू हो गयी हैI एक दुसरे को हराने के लिए व्यूह रचना भी चल रही हैI अभी तो चुनावी दंगल की शुरुआत है आगे क्या क्या देखने-सुनने को मिलेगा यह समय बताएगा. देश में ही नहीं विदेश में भी बिहार विधान सभा चुनाव पर लोगों की नज़र हैI क्या आगामी बिहार विधान सभा चुनाव माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी की चुनावी परीक्षा है?क्या माननीय मोदी जी ने प्रचार में अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रखा है?
यथार्थ यही है कि बिहार विधान सभा चुनाव में भाजापा की जीत राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुचाने में मददगार होगी साथ ही 2017 में उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में जीत की झलक दिखाई देने लगेगीI इसीलिए चुनाव पूर्व ही माननीय मोदी जी ने बिहार राज्य के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी Iअब विज़न डॉक्यूमेंट में एक से बढ़कर एक लोकलुभावन वादे भी सामने आ गए जैसे मेट्रिक और इंटर पास करने वाले 50 हज़ार मेधावी छात्रों को लैपटॉप ,हर वर्ष दसवीं और बारहवीं की 5 हज़ार छात्राओं को मेरिट के आधार पर स्कूटी, प्रदेश के सभी दलित और महादलित टोलों में एक मुफ्त रंगीन टीवी और प्रत्येक गरीब परिवार को साल भर में एक जोड़ी साड़ी आदिI एकदम उत्तर प्रदेश में आसीन सपा सरकार के मुखिया की तरह सोचI क्यों? क्या भ्रस्टाचार का मुद्दा जाति आधारित वोट राजनीती के सामने फेल हो जायेगा? क्या विकास और सबका साथ का नारा फेल हो रहा है?क्या परिवार वाद का कोई मुद्दा बिहार में सफल नहीं होगा? यह भी तो सत्य है कि कोई भी राजनैतिक दल परिवारवाद से अछूता नहीं हैं. जाति आधारित आरक्षण की बहस ने अगड़ी जातियों को एक जुट कर दिया है. भारतीय लोकतंत्र के राजनेतिक दल के मुखिया केवल अपने वर्चस्व को बरक़रार रखने में व्यस्त हैंI उन्हें देश के विकास, किसान और गरीबों के उत्थान और देश के सम्मान से कोई मतलब नहीं हैI केंद्र के चुनाव के समय “ अबकी बार मोदी सरकार” के आह्वान पर भाजपा को वोट मिला थाI कोई नहीं कहता था भाजपा सरकार सब ही कहते थे मोदी सरकार I माननीय मोदी जी देश के हित में यदि कहूँ तो बिहार चुनाव आपके लिए कठिन परीक्षा हैI अफसोस भाजपा के डॉक्यूमेंट विज़न में मोदी झलक नहीं दिखाई देतीI
भ्रटाचार = भ्रष्ट + आचार = भ्रष्ट आचरण I क्या किसी कार्य के कराने के लिए धन का लेन – देन ही केवल भ्रस्टाचार है? क्या मतदाता को मत डालने से पहले धन या शराब की बोतल देना ही भ्रस्टाचार है ?क्या कर्मचारियों का समय पर ड्यूटी न करना भ्रस्टाचार नहीं है ? क्या संसद को चलने नहीं देना राजनेताओं के स्तर पर भ्रस्टाचार नहीं है? मतदान से पूर्व मतदाताओं को लोक लुभावन सपने दिखाना भी भ्रस्टाचार है I जाती , धर्म विशेष व वर्ग विशेष को कुछ मुद्दे उछाल कर भ्रमित करना भी भ्रस्टाचार है. चुनाव लड़ने के लिए योग्य व्यक्ति के स्थान पर जिताऊ कैंडिडेट को टिकट देना भी भ्रस्टाचार है I इसीलिए भ्रस्टाचार के मुद्दे पर जाति आधारित वोट का मुद्दा हावी है I जब देश का मतदाता ही भेड़ – बकरी की तरह मतदान करता है तो क्या होगा और हो रहा है सर्वविदित है I

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