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हमारा देश विश्व में सबसे बड़े लोक तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है. विदेशों में हम बड़े गर्व के साथ अपने समर्थ और ताकतवर लोकतंत्र होने का बखान करते हैं.बहुत अच्छा लगता है सुनकर परन्तु जब अपनी जनता के बीच में जनता के द्वारा चुने हुए जन प्रतिनिधि गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं तो बड़ा दुःख होता है. अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने कहा कि आई ए एस अधिकारी कामों में अड़ंगे लगाते हैं और ठीक उसी दिन उनके सहयोगी सिंचाई मंत्री ने कहा कि इंजीनियर भ्रष्ट हैं. इससे एक कदम आगे निकलते हुए राजस्व मंत्री ने आरोप लगा दिया कि एस डी ऍम और तहसीलदार लेखपाल भरती का रैकेट चला रहे हैं. ये सारे आरोप जब माननीय मंत्रियों की जानकारी में हैं तो इन सभी आई ए एस अधिकारियों, भ्रष्ट इंजीनियरों और लेखापाल भरती की धांधली में लिप्त एस डी ऍम और तहसीलदार के विरुद्ध कार्यवाही कौन करेगा. क्या मुख्य मंत्री और उनके सहयोगी मंत्रीगण इन सभी आरोपियों पर कार्यवाही करने में सक्षम नहीं हैं? यदि सक्षम हैं तो कार्यवाही के स्थान पर सार्वजनिक तौर पर बयान क्यों? कौन करेगा कार्यवाही? माननीय मंत्रीगण की जानकारी में जब अधिकारियों का अनैतिक आचरण है और वह लोग कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो क्या उन्हें अपने पदों पर रहने का नैतिक अधिकार है?बड़े शर्म की बात है माननीय अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए गैरजिम्मेदाराना बयान सार्वजनिक तौर पर देते हैं.मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले का सच सामने है क्या उससे बड़ा घोटाला उत्तर प्रदेश में चल रहा है? उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति, एल टी ग्रेड शिक्षकों की भरती, गणित – विज्ञानं के जूनियर शिक्षकों की भरती, शिक्षा मित्रों का समायोजन, दरोगा अथवा सिपाहियों की भरती पूर्णता को प्राप्त नहीं हो रही , कारण कहीं रिश्वत रसूख का चक्कर, कहीं फर्जी प्रमाण पत्र का चक्कर. इन सब से माननीय मंत्री जी अवगत हैं तभी उनहोने लेखपाल भरती की परीक्षा में संभाव्य धांधली का ढोल पीटकर अपना चेहरा साफ़ करने का प्रयास शुरू कर दिया. माननीय मंत्रियों को अपनी छवि बचाने के लिए सार्वजनिक तौर पर इस तरह के बयान देने पड़ रहे हैं. वैसे भी शिक्षा मित्रों का समायोजन अवैध घोषित हो चुका है. माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक लाख 70 हज़ार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है.
उत्तर प्रदेश सरकार का कार्यकाल 5 वर्ष पूर्णता की तरफ अग्रसर है सभी माननीय अपनी सरकार की छवि और अपने दल की राजनीत पर ध्यान दे रहे हैं. आम जनता जिसके बल पर लोकतंत्र खड़ा है उसे वेवकूफ बनाने में जुटे हैं.
बिलकुल इसी तरह केंद्र की सरकार के मंत्रीगण और माननीय प्रधान मंत्री महोदय संसद का मानसून सत्र चलाने में हुयी अपनी असफलता को कांग्रेस पर सार्वजनिक बयानबाजी कर छिपाने का प्रयास कर रहे हैं. सरकार बनवा कर मतदाता ने भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार जनता ने दे दिया. संसद कुशलता से चलाने की जिम्मेदारी भी जनता ने दे दी फिर माननीय मोदी जी अब यह आपका कार्य है आपको कैसे संसद चलानी है यह निर्णय आपको लेना है. जो भी देश की परिस्थतियाँ हैं वह बदली नहीं जा सकती आपको ही सही और कठोर निर्णय लेने होंगे. माननीय मोदी जी याद रखिये कि बार बार चिल्ला कर कहने से “40 आदमियों की पार्टी , माँ बेटे की पार्टी संसद चलने नहीं देती” से आप अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं होते. माननीय यह समय है सभी राजनेताओं के लिए विचार का कि अगर राज्य सभा का इस्तेमाल विकास रोकने और कानून बनाने में अवरोध डालने में शुरू हो चुका है तो राज्य सभा का औचित्य क्या है.
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