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05 सितम्बर 2015 ,महान चिन्तक, विद्वान व देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जनम दिन जो हमारे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मान्य है. इस बार का संयोग कि 05/09/2015 को भगवान कृष्ण का भी जनम दिन पड़ रहा है. दोनों कृष्ण (कृष्ण शब्द का अर्थ है जो अपनी ओर खींचे) आकर्षक व्यक्तित्व. भगवान ने रण भूमि में अर्जुन को ज्ञान दिया जो गीता के नाम से अमर हो गया.डॉक्टर राधाकृष्णन जी ने कहा है “ वास्तविक शिक्षक वह है, जो अपने छात्र को आने वाली कल की चुनोतियों के लिए तैयार करता है “
हर बार की तरह इस बार भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जायेगी और सरकारी स्तर पर शिक्षक दिवस मनाये जाने का प्रोग्राम संपन्न कर लिया जायेगा. क्या इतना ही काफी है? क्या दोनों कृष्ण के द्वारा प्रदत्त ज्ञान का इतना ही मूल्य है? नहीं आवश्यकता है उनके ज्ञान को अपने जीवन में उतारनेकी, उनके द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों के अनुपालन की.
वास्तव में व्यक्ति के जीवन में पहली शिक्षक उसकी माँ है, दूसरा शिक्षक पिता , तीसरा शिक्षक स्कूल में शिक्षा देने वाला अध्यापक और समाज के लोग. अंत समय में शिक्षक आध्यात्मिक गुरु. इस प्रकार हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में किसी न किसी के लिए शिक्षक का रोल अदा करता है. इसका सीधा सा तात्पर्य यह है कि हर व्यक्ति को आने वाले कल की चुनोतियों के लिए न केवल अपने को तैयार करना है बल्कि अपने सानिध्य में आने वाले व्यक्ति को भी चुनोतियों के लिए तैयार करना है.
यह होगा निरासक्त भाव से कर्म. भगवान कृष्ण ने भी गीता में निरासक्त भाव से कर्म करने की बात कही है. बिडम्बना है इस समाज की कि भगवान कृष्ण का जन्म दिवस मनाएंगे, उपवास रखेंगे, उनके जीवन की झांकियां सजायेंगे उनके बचपन की लीलाओं का आयोजन करेंगे व दही हांड़ी का भी कार्यक्रम करेंगे परन्तु भगवान कृष्ण के दिये एक ज्ञान ( कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर इन्सान ) का समावेश अपने जीवन में नहीं करेंगे. कोशिश करेंगे कि कर्म को करने के बाद कितना फल मिलेगा और अगर अपनी मेहनत से फल मिलने की आशा नहीं होगी तो जुगाड़, सिफारिश और रिश्वत आदि भ्रष्ट तरीके अपना कर फल प्राप्त करेंगे. यह सब स्पष्ट रूप से सरकारी नौकरी पाने, अच्छे विद्यालयों में प्रवेश लेने, प्रतियोगी परीक्षाओं में पास होने, कोल् ब्लॉक्स, गैस ब्लॉक्स और सरकारी कार्यों के अन्य टेन्डर आदि लेने में दिखाई पड़ रहा है और तो और बिना शिक्षा ग्रहण करने का कर्म किये नक़ल से परीक्षा पास करने, बिना परीक्षा दिये डिग्री,अंक पत्र आदि प्राप्त कर लेने में भी दिखाई दे रहा है.
शिक्षक दिवस पर हर अध्यापक और माता पिता को यह सोचने के लिए बाध्य होना चाहिए क्या उनका हर छात्र अपने राष्ट्र, समाज और घर की कल की चुनोतियों के लिए तैयार है? जब समाज की नीव खोखली होगी तो मजबूत समाज, राष्ट्र कैसे बनेगा. यह मुद्दा नहीं एक समस्या है अपात्र लोगों के द्वारा भ्रष्ट तरीके अपना कर ऊँचे पद को ग्रहण कर लेना. सोचिये जब अयोग्य व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी और जिले का प्रशाशनिक अधिकारी होगा तो राष्ट्र/ समाज कैसा होगा
शिक्षक दिवस पर हर शिक्षक को अपने दायित्व को पूर्ण निर्वाह करने की शपथ लेनी होगी.
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