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आज प्रातः जैसे ही समाचार पत्र उठाया, पहली हेड लाइन एआइपीऍमटी रद्द,फिर होगी परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सख्त कदम
यह निर्णय माननीय सर्वोच्च नयायालय ने व्यवस्था में भरोसा और परीक्षा की विश्वशनियता बनाये रखने के लिए दिया साथ ही जाँच एजेंसी से जाँच पूरी करने को कहा. इस निर्णय का जाँच एजेंसी की जाँच पर कोई असर नहीं होगा. पुलिस को आशंका है कि इस पेपर लीक मामले में सीबीएसई के भीतर का ही कोई व्यक्ति शामिल है जिसका खुलासा रूप कुमार दांगी के गिरफ्तार होने पर हो सकता है. इस खबर की पेपर ने हेड लाइन बनाई सीबीएसई में हो सकता है ‘विभीषण’
कुछ भी और लिखने से पहले मैं यह साफ़ करना चाहता हूँ कि “विभीषण” रामचरितमानस (रामायण) का पात्र है. जिसको राम भक्त के रूप में सनातन धर्म को मानने वाले लोग जानते हैं. राम भक्तों के लिये विभीषण एक अच्छा चरित्र है जिसने राम-रावण युद्ध में भगवान राम की मदद की और देवी सीता को ससम्मान भगवान राम को सौंपा. इसके अलावा यह भी तर्क दिया जा सकता है कि रावण के अत्याचारों से लंका की प्रजा इतनी ज्यादा दुखी थी कि विभीषण ने अत्याचारों के समापन हेतु हनुमान जी के द्वारा भगवान राम से संधि की और रावण के अत्याचारों से लंका को मुक्त किया.
“घर का भेदी लंका ढाए” का मुहावरा भी विभीषण को विलेन ही बताता है, अगर विभीषण को विलेन कहें तो भी कुछ हद तक सही हो सकता है. वह इसलिए कि लंका दहन के समय उसका ही भवन क्यों जलने से बचा ओर जब रावण ने देश द्रोह के रूप में उसे देश निकाला की सजा दी तो वह लंका के दुश्मन राम से मिल गया और रावण का विनाश कर लंकाधिपति बन गया.यह बात मैं किसी की भी धार्मिक भावना को आहत करने के लिए नहीं कह रहा हूँ बल्कि यह स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा हूँ कि पेपर लीक मामले में सीबीएसई बोर्ड के संलिप्त व्यक्ति को “विभीषण” कहा जाये या “रावण”
बहराल कोई भी संज्ञा दे दो. लाखों छात्रों और उनके अभिवावकों का जो आर्थिक और मानसिक नुकसान होता है उसकी भरपाई कौन करेगा. कब राम भक्त विभीषण जन्म लेगा जो प्रजा को इन भ्रस्टाचारी (जिनको, राजनैतिक और प्रशाशनिक संरक्षण प्राप्त है ) के अत्याचारों से मुक्त करेगा.
एक सवाल और इस माहोल में बच्चों को मेहनत से पढने के लिए कैसे कहा जाये? उनका सवाल क्या जायज नहीं कि जब नक़ल और पैसे के बल पर लोग प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं तो हमारा क्या वजूद मेहनत से 90% से ऊपर मार्क्स कैसे लाये जा सकते हैं
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