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ईश्वर को भवन की जरुरत नहीं

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सबसे पुरातन धर्म वैदिक धर्म है जिसमें निराकार ईश्वर के बारे में कहा गया और बताया गया कि ईश्वर कण – कण में व्यापत है. ब्रहमांड में कोई भी ऐसा स्थान नहीं जहाँ पर भगवान का वास नहीं है . इसमें ईश्वर की साधना के लिए समाधी लगाकर ईश्वर को पाने का उपाय कहा गया है . एक निश्चित आसन मैं ईश्वर की याद में लीन हो जाने को समाधी कहते हैं. सरल भाषा में कहें कि अपने मस्तिष्क को किसी एक बिन्दु पर कंसन्ट्रेट करके आस पास के माहोल से अपने को विलग कर लेना ही समाधी है.
जैसे – जैसे व्यक्ति ने विकास करना शुरू किया उसका मन मस्तिष्क की पकड़ से दूर होने लगा और एकाग्रता भंग होने लगी. ईश्वर की साधना समाधी लगा कर करना कठिन हो गया तो उसने ईश्वर की मूर्ति गढ़ ली और उसके सामने बैठ कर उपासना करने लगा. विकास ने फिर उसकी एकाग्रता मैं व्यवधान डाला तो उसने भगवान के लिए स्थान निर्धारित कर दिया और उस स्थान को चार दीवारों से घेर एक भवन बना दिया जिसे मंदिर का नाम दिया गया.
धर्म एक आस्था का विषय है इससे जनसामान्य की भावनाएं जुडी होती हैं. थोडा कड़े शब्दों में कहूँ तो धर्म के नाम पर कुछ समूह बना लिए गए और अपने- अपने वर्चस्व को बरक़रार रखने के लिए नए नए पंथ और धर्मों का अवतरण हो गया और उनके अनुयायी भी बन गए. सरल शब्दों में मानव का विभाजन हो गया लेकिन वह विकास के पथ पर बढ़ता रहा साथ ही विभिन्न मतान्तरों के अनुसार भगवान के लिए भवन बनते रहे उदाहरण के लिए हिन्दुओं का मंदिर , मुसलमानों की मस्जिद और इसाई धर्म के अनुयायिओं के लिए चर्च आदि.यह सभी भवन धार्मिक स्थल कह लाने लगे और जन सामान्य के लिए आस्था के विषय हो गए साथ ही प्राचीन मंदिर राष्ट्र के लिए धरोहर भी बन गए
इस पर सभी जन सामान्य को सोचना चाहिए कि जयपुर में मेट्रो सेवा के संचालन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए विकास का वास्ता देते हुए ऐतहासिक महत्व के 6 मंदिरों को हटा दिया गया और आस्थावानों के स्वाभाविक विरोध को रोकने के लिए पुलिस बल का भी प्रयोग किया गया. राजस्थान में बी जे पी की सरकार है और विकास समर्थक है. माननीय मोदी जी कृपया बताएं आप के कुछ नेताओं के द्वारा अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को बनवाने की गुहार लगाना किस प्रकार के विकास से सम्बंधित है.
दोस्तों धर्म के नाम पर नेता जन सामान्य को केवल लड़ाने का काम करते है और आपकी भावनाओं को भड़का कर अपना वर्चस्व स्थापित करने में लगे रहते हैं. साथ ही आजकल दबंग लोग अवैध कब्ज़ा करने के लिए भी मंदिर/ मस्जिद बना देते हैं जो कि कानून गलत है परन्तु आस्था आहत न होने पाए इसलिए कानून भी उस अवैध कब्जे को नहीं हटाता और निर्दोष पीड़ित हो जाता है. जहाँ पर सरकार की सहमति है वहां राष्ट्रीय धरोहर/ एतिहासिक मंदिर हटा दिये जाते हैं. यदि आप राजमार्ग पर चलते हैं तो कहीं नकहीं आपको भी अधूरा निर्माण कार्य (राज मार्ग का ) मिल जाता है इसी प्रकार के विवादों के कारण.उन विवादों को भी इसी प्रकार की सरकारी इच्छा शक्ति से निबटाया जा सकता है.
ईश्वर केवल एक शक्ति है जो सभी मनुष्यों का समान रूप से पालन करती है और कण कण में व्यापत है उसे किसी भवन की जरूरत नहीं

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