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जीवन की सफलता का राज

Social issues
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मनुष्य जैसे ही बचपन की दहलीज से आगे बढ़ता है उसको अपना जीवन सफल बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होते हैं और उन को हासिल करने के लिए प्रयास करना पड़ता है, श्रम किये बिना कुछ भी हासिल नहीं होता और कभी – कभी कर्म करने पर भी फल प्राप्त नहीं होता तो वह हताशा और कुंठा से ग्रस्त हो जाता है. इसके लिए मनुष्य भाग्य और परिस्थितियों को दोष देता है.
किसी भी असफलता के तीन प्रमुख कारण होते हैं :-
(1 ) पात्रता किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए अपनी योग्यता को देखना चाहिए और अच्छी बात यह होगी कि अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए अपनी पात्रता / योग्यता को बढाया जाये. इन दोनों कार्यों को करने में मनुष्य का अहंकार और अज्ञान अवरोध बनता है. वह अपनी इच्छाएँ दूसरों की प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या के सापेक्ष निर्धारित करता है.
(2 ) आत्मावलोकन कई बार पात्रता/योग्यता होने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है कारण मनुष्य दूसरों के द्वारा इंगित की जाने वाली निरंतर गलतियों पर ध्यान नहीं देता है और अपना भी निरीक्षण करना नहीं चाहता है. स्वयं अपने आपको ईमानदारी से अपनी कसौटी पर कसने से सफलता दूर नहीं रह जायेगी .
(3 ) विश्वास यदि ईश्वर की सत्ता और उसके न्याय पर विश्वास हो तो निराशा और विफलता जीवन में बहुत दूर खड़े दिखाई देंगे. यदि ईमानदारी से आपने अपने बारे में लक्ष्य निर्धारित किये हैं रास्ते में अवरोध आ सकते हैं किन्तु निराशा और विफलता नहीं.
अतुल कुमार

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