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मोदी सरकार के कार्यकाल का एक साल

Social issues
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मोदी सरकार की पहली वर्षगाँठ पर प्रचार की जोरदार तैयारी के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सर्कुलर जारी किया और इस मौके पर एक अभियान चलाकर सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने के लिए कहा साथ ही विभिन्न मंत्रालयों के सूचना अधिकारियों को सम्बंधित मंत्रियों की अधिक से अधिक प्रेस कांफ्रेंसिंग, मीडिया ब्रीफिंग और विशेष साक्षतकार आयोजित करने के लिए निर्देश दिये गए/ साथ-साथ मंत्रियों और प्रवक्ताओं को भरपूर फेसबुक और ट्विटर का उपयोग करने के लिए कहा गया है.एक बार फिर से श्री मोदी जी को बेचने की भरपूर तैयारी. क्या इस बार भी उतनी ही सफल होगी जितनी एक साल पहले सत्ता हासिल करने में हुयी थी?
मोदी जी कृपया जान लें कि भारत वर्ष की 70% जनता को आपके विदेशी दौरों से होने वाले निवेश, या आपके द्वारा पड़ोसियों की मदद, बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटीज़ जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन होने या न होने से कोई मतलब नहीं है/ कोल् ब्लाक की बिक्री में होने वाले भ्रष्टाचार में आई कमी से सरकारी खजाने में हुयी बढ़ोतरी , सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में भारी कमी से 70% से 80% जनता को कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
काले धन का विधेयक पारित हो जाने और जी एस टी और भूमि अधिग्रहण को अगले सत्र में पास होने का मार्ग प्रशस्त हो जाने से भी कोई फरक नहीं पड़ता है.
जनता को फ़र्क पड़ता है तत्काल लाभ से :-
(1) जन धन योजना में खुले जीरो बैलेंस से खुलने वाले खातेधारकों को जिनमें अभी भी जीरो बैलेंस है और वह आप की ओर टकटकी बांधे Rs.5000/- के कर्ज की आशा लगाये देख रहे हैं, Rs.100000/- के मुफ्त बीमा की बाट जोह रहे हैं.
(2) इन्हीं लोगों को आपके द्वारा लागू की गयी बीमा योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिलना.
(3) वह छोटी जोत वाला किसान जो पहले से ही बैंक कर्ज, साहूकार के कर्ज में लदा है अगली फसल करने के लिए, अपनी लड़की की शादी करने के लिए, और साल भर पेट भरने के लिए परेशान है.
(4 ) वह मजदूर जो गाँव छोड़कर पेट की खातिर महानगरों की झुग्गी झोपोडियों के साथ साथ सड़क पर रहने के लिए मजबूर है.
(5) स्ट्रीट वेंडर्स और छोटे दुकानदार (जो कि अमेज़न , स्नेप डील आदि जैसी कम्पनीज के आजाने से) अपने घटते व्यापार और आमदनी से परेशान है.
मोदी जी कृपया अपने सलाहकारों द्वारा दिखाए जाने वाले डाटा को देखकर वर्ल्ड बैंक की नीतियों के अनुपालन को सोच समझ कर करीं कहीं ऐसा न हो कि स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना , पोखरण परमाणु विस्फोट और कारगिल युद्ध जैसी सफलताओं के बाद भी जनता ने अटलजी की सरकार को दूसरा मौका नहीं दिया.

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