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मातृ दिवस, अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन, है न नयी परम्परा
हमारी भारतीय संस्कृति में माता पिता के प्रति सम्मान देने के लिए कोई एक दिन निश्चित नहीं किया गया/ हमें तो हमेशा यह बताया गया कि प्रातः उठकर सबसे पहले माता – पिता के चरणों में शीश झुकाओ उनका आशीर्वाद लेने के बाद अपनी दिनचर्या प्रारंभ करो/ यह पश्चमी सभ्यता का असर है कि एक दिन उनको फूल/तोहफा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लो
मातृदिवस के अवसर पर मैं स्वयं अपनी माँ से ( जो अब नहीं हैं ) जाने अनजाने में उनकी की गयी अवहलेना के लिए क्षमा मांगता हूँ और आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि कोई भी और कभी भी ऐसा कार्य न करें जिससे उनको दुःख पहुंचे/ साथ ही जो बच्चे अपनी माँ के साथ नहीं रह् पाते हैं वह कम से कम दिन में एक बार अपनी माँ से फ़ोन पर अवश्य बात करें / यही हमारी उनके द्वारा दिये गए प्यार और हमारे लालन पालन के लिए उठाये गए कष्टों के प्रति सही कृत्यज्ञता होगी
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