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सलमान खान को सजा, जेल जाने से पूर्व ही उच्च नयायालय के द्वारा दो दिन के लिए अंतरिम जमानत, इसके साथ वर्ष 2002 में एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान की कार के नीचे मारे गए मृतक के पीड़ित परिजनों को मुआवज़े के रूप में 10 लाख रुपये व गंभीर रूप से घायल को 3-3 लाख रुपये देने का आदेश दिया व सलमान ने कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए पूरी धनराशी फोरन कोर्ट में जमा कर दी/ इसके साथ आप देखिये पीड़ित अब्दुल रउफ शेख ने मीडिया से कहा कि फैसले से उस पर कोई असर पड़ने वाला नहीं क्योंकि उसका टूटा पैर पूरी तरह ठीक नहीं हो जायेगा अगर उसे कुछ मुआवजा मिल जाये तो भविष्य के लिए बेहतर होगा
मैं न्याय पालिका पर कोई सवाल नहीं उठा रहा / न्याय की प्रक्रिया और तेज़ होती तो बहुत अच्छा होता पर बार –बार यह सवाल मन में उठ रहे हैं क्या सलमान के जेल जाने से अब्दुल रउफ संतुष्ट / ठीक हो जायेगा, क्या सलमान के स्थान पर कोई सामान्य आदमी होता तो क्या उसके विरुद्ध जन हित याचिका पड़ती और अगर पड़ती भी तो क्या वह 19 लाख रुपये कोर्ट में जमा करा पाता
आप देखें रोज इस तरह की घटनाएँ होती हैं पीड़ित के नाम पर खूब हाय तौबा मचती है , अपराधी की मलामत की जाती है और अगर अपराधी सलमान जैसा व्यख्यात व्यक्ति है तो बहुत सारे लोगों की रोटियां सेंकने का इंतजाम हो जाता है/ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लम्बी बहस आयोजित करता है , समाजसेवी और राजनेता बहस में भाग लेते हैं और एक लम्बा समय बीत जाने के बाद भी पीड़ित,पीड़ित ही रहता है उसे अपने जीवन यापन के लिए दूसरों के आगे हाथ फ़ैलाने पड़ते हैं
कोई समाजसेवी या राजनेता इन सवालों के जवाब नहीं तलाशता कि महानगरों में फूटपाथ पर रहने वालों की संख्या क्यों घटने के स्थान पर बढ़ रही है / क्या दुर्घटना घटने के बाद यह लोग पीड़ित को मुआवजा दिला कर अपने कार्य की इतिश्री समझ लेते हैं
सामान्य जन की भाषा में कहूँ तो इन लोगों ने गरीब , मजदूर और किसान को कुत्ता बना दिया है / मन में इन लोगों के प्रति कुत्ते जैसा ही भाव रखते हैं और यदि कोई विख्यात आदमी कह दे तो हो हल्ला मचाते हैं / क्या है ये राजनीती , कूटनीति या वोट नीति ?
( अतुल कुमार )
6 A/301 आवास विकास फर्रुखाबाद ( उ.प्र)
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